ओशो के अनमोल वचन

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ओशो के अनमोल वचन

“उस तरह मत चलिए जिस तरह डर तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम तुम्हे चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह खुशी तुम्हे चलाये।“

“जिन्दगी में आप जो करना चाहते है, वो जरूर कीजिये, ये मत सोचिये कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते है, जब आप कुछ नहीं करते।“

“सारी शिक्षा व्यर्थ है, सारे उपदेश व्यर्थ है, अगर वे तुम्हें अपने भीतर डूबने की कला नहीं सीखाते।“

“जहां आपको लगता है कि कुछ निंदा हो रही है वहीं आपको रस आता है, रस आता है क्योंकि दूसरा आदमी छोटा किया जा रहा है और उसके छोटे होने से आपको अंदर से अनुभव होता है कि मैं बड़ा हूँ।“

“कोई आदमी चाहे लाखों चीजें जान ले। चाहे वह पूरे जगत को जान ले। लेकिन अगर वह स्वयं को नहीं जानता है तो वह अज्ञानी है।“

“जिंदगी को अगर हमें जिंदा बनाना है, तो बहुत सी जिंदा समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। लेकिन होनी चाहिए और अगर हमें जिंदगी को मुर्दा बनाना है, तो हो सकता है हम सारी समस्याओं को खत्म कर दे, लेकिन तब आदमी मरा-मरा जीता हैं।“

“तुमने पद, धन, यश, कीर्ति, प्रेम इन सबकी चेष्टाएं की, बस एक ध्यान के दीए को जलाने की चेष्टा नहीं की, वही काम आएगा। मृत्यु केवल उसी दीए को नहीं बुझा पाती। बुद्ध कहते हैं, ध्यान अमृत सूत्र है।“

“जब दिल में प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।“

“आपको किसी से किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है आप स्वयं जैसे है बिल्कुल सही है। बस खुद को स्वीकार करना सिखिए।“

“जो व्यक्ति भीतर सत्य को अनुभव करता है, उसका सारा जीवन सौदर्य से, शांति से और संगीत से भर जाता है। उसका सारा जीवन उन प्रतिध्वनियों को, उन तरंगों को प्रवाहित करने लगता है, जो सारे जगत के लिए शांति की और शीतलता की छाया बन सकती है।“

“मैं ‘किसी से’ बेहतर करूं क्या फर्क पड़ता है। मैं ‘किसी का’ बेहतर करूं बहुत फर्क पड़ता है।“

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