ओशो के अनमोल वचन

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ओशो के अनमोल वचन

“जीवन क्या है? कुछ नहीं, ठेहराव और गति के बीच का संतुलन।“

“मनुष्य खुद ईश्वर तक नहीं पहुंचता है, बल्कि जब वह तैयार होता है तो ईश्वर खुद उसके पास आ जाते है।“

“अगर आप सही में सच देखना चाहते हैं तो आप ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।“

“बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाजे़ पर लिखे थे- ‘ठोकरे खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब, वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज निभा ही दिया।“

“मैं तो दो ही शब्दों पर जोर देता हूं- प्रेम और ध्यान। क्योंकि मेरे लिए अस्तित्व के मंदिर के दो ही विराट दरवाजे हैं। एक का नाम प्रेम, एक का नाम ध्यान। चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ, चाहो तो ध्यान से प्रवेश कर जाओ। शर्त एक ही है। अहंकार दोनों में छोड़ना होता है।“

“इस संसार में मित्रता शुद्धतम् प्रेम है, मित्रता प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहां कुछ भी मांगा नहीं जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस दिया जाता है।“

“बड़ा सवाल ये नहीं है कि कितना सीखा जा सकता है। इसके उलट, सवाल ये है कि कितना भुलाया जा सकता है।“

“शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है लेकिन इसका मुझ पर कोई असर नहीं। कारण केवल इतना है कि मुझे सही समझे जाने की जिज्ञासा नहीं। यदि वे सही नहीं समझते तो यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है। यदि वे गलत समझते हैं तो यह मेरी नहीं, उनकी समस्या है, उनका दुख है। मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।“

“असली सवाल यह है कि भीतर तुम क्या हो? अगर भीतर गलत हो, तो तुम जो भी करोगे, उससे गलत फलित होगा। अगर तुम भीतर सही हो, तो तुम जो भी करोगे, वह सही फलित होगा।“

“जब आप हंस रहे होते हैं, तो ईश्वर की ईबादत कर रहे होते हैं। और जब आप किसी को हँसा रहे होते हैं, तो ईश्वर आपके लिए ईबादत कर रहा होता है।“

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