आँख भर ले गई - कविता

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Aankh Bhar Le Gayi Hindi Rhymes
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"कविता"

आँख भर ले गई प्रेम की पाँखुरी,
नील अम्बर से तारों में हलचल हुई।

फिर समुंदर की लहरों ने साजिस रची,
मछलियाँ फिर किनारों में जल-जल गईं।

प्रेम की आग को जब भी परखा गया,
मौत जलते पतंगों की पल-पल हुई।

झूठ के कंकरीटो से घर बन गए,
थोड़ी बारिश गिरी, जैसे दल-दल हुई।

कालिखी रात थी थम गई जिंदगी,
जो सवेरा हुआ, फिर टो चल-चल हुई।

बर्फ की खेलती एक चट्टान थी,
थोड़ा सूरज दिखा, जैसे गल-गल गई।

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