दौलत का सच - कविता

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Daulat Ka Sach Hindi Rhymes
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"कविता"

दौलत में अगर दम होता तो,
मैं भगवान को खरीद लेता।

दे देता खालिस सोने के जेवर,
मौत को भी खरीद लेता।

लुटा देता हीरे मोती का खजाना,
रूह को अलविदा न कहने देता।

चांदी का पानी शरीर पर चढ़ा देता,
मगर योवन को कभी मिटने न देता।

मगर मैं क्या करूँ खुदा मेरे,
दौलत तो कमाई जाती है दुनियां में,
मगर सासों की कोई दुकान नहीं दिखती।

और ले जाये जो दौलत साथ में
वह रूह किसी देह में नहीं होती।

प्रेम के सिवाय ईश्वर को कुछ प्यारा नहीं,
मगर क्या करूं, ईश्वर से सच्चा प्रेम कोई करता नहीं।

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