सर्कस कविता, Sarkas Hindi Poems Nursery Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा हिंदी में बच्चों की कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं, छोटे बच्चों की छोटी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
होकर कौतूहल के वश में,
गया एक दिन मै सर्कस में।
भय-विस्मय के काम अनोखे,
देखे बहु व्यायाम अनोखे।
एक बड़ा-सा बन्दर आया,
उसने झटपट लैंप जलाया।
झट कुर्सी पर पुस्तक खोली,
आ तब तक मैना यूँ बोली।
हाजिर है हुजूर का घोड़ा,
चौंक उठाया उसने कोड़ा।
आया तब तक एक बछेरा,
चढ़ बंदर ने उसको फेरा।
एक मनुष्य अंत में आया,
पकड़े हुए सिंह को लाया।
मनुज-सिंह की देख लड़ाई,
की मैंने इस भांति बड़ाई।
कहीं साहसी जन डरता है,
नर-नाहर को वश करता है।
मेरा एक मित्र तब बोला,
भाई तू भी है बस भोला।
यह सिंही का जना हुआ है,
किन्तु सियार यह बना हुआ है।
यह पिजड़े में बंद रहा है,
कभी नहीं स्वछन्द रहा है।
छोटे से यह पकड़ा आया,
मार-मारकर गया सिखाया।
अपने को भी भूल गया है,
आती इस पर मुझे दया है।
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