उठो धरा के अमर सपूतों - कविता

Utho Dhara Ke Amar Hindi Poems Nursery Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा हिंदी में बच्चों की कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं, छोटे बच्चों की छोटी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Utho Dhara Ke Amar Hindi Rhymes
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"कविता"

उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।

जन-जन के जीवन में फिर से
नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो।

नई प्रात है नई बात है
नया किरन है, ज्योति नई।

नई उमंगें, नई तरंगें
नई आस है, साँस नई।

युग-युग के मुरझे सुमनों में
नई-नई मुस्कान भरो।

उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।

डाल-डाल पर बैठ विहग कुछ
नए स्वरों में गाते हैं।

गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरें
मस्त उधर मँडराते हैं।

नवयुग की नूतन वीणा में
नया राग, नव गान भरो।

उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।

कली-कली खिल रही इधर
वह फूल-फूल मुस्काया है।

धरती माँ की आज हो रही
नई सुनहरी काया है।

नूतन मंगलमय ध्वनियों से
गुँजित जग-उद्यान करो।

उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।

सरस्वती का पावन मंदिर
शुभ संपत्ति तुम्हारी है।

तुममें से हर बालक इसका
रक्षक और पुजारी है।

शत-शत दीपक जला ज्ञान के
नवयुग का आह्वान करो।

उठो, धरा के अमर सपूतों
पुन: नया निर्माण करो।

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