अनोखा इंतजार - कविता

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Anokha Intajar Hindi Rhymes
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"कविता"

फिर यह एक अनोखा-सा इंतजार है,
मन किस लिए इतना फिर तार-तार है,

काँटे भी घड़ी के ठगने से लगे,
लहरें मुड़ जातीं बार-बार हैं।

सो जाऊँ कि जाग-जाग कर उठूँ,
खींचे यह कौन फिर मन का तार है,

बंद करूं आँखें तो कानों में दस्तक,
चुभता ज्यों काँटा फिर धारदार है।

दरिया कभी न कभी तो शांत होगा,
डूबती कस्तियों की भले कतार है,

किस्मत कितनी है बुलंद, फिर देखना,
कल जीत होती है या आज हार है।

एक जुआ है जो जिंदगी खेलती है,
दाँव आज इस पार या उस पार है,

उड़ती पतंग व्योम संग खेलती,
देखना माँझा बहुत धारदार है।

जीत चिर खुशी है, विवशता हार है,
दर्द है, लज्जा है, दुख का अम्बार है,

पर जो जीता वही बना है सिकंदर,
आज दुख है तो कल सुख अपार है।

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