भोर निकला - कविता

भोर निकला हिंदी कविता, Bhor Nikala Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।

Bhor Nikala Hindi Rhymes
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"कविता"

अबके आँधी आई यों, कि बेवफा दौर निकला,
अमरायी भी रूठ गई, गिरता हुआ बौर निकला।

बड़ी देर तक छुपाया वह एक फूल आँखों में,
हाथ आई है पतंग, टूटा हुआ डोर निकला।

बादलों की घुमड़-घुमड़ उस पर कड़कती बिजली,
नाचते-नाचते गिर गया, देखा टो मोर निकला।

आबरू भी लुटी, हुआ फिर कफ़न का हिसाब,
अजीब हादसा था, बेवजह का शोर निकला।

फिर पकड़ लिया, एक चोरी करते बालक को,
बंद मुट्ठी क्या खोली, हाथों में कौर निकला।

गहरी नींद उठकर, कँपकँपाते बैठ जाना,
कहा माँ ने बेटा, अब मेरा दौर निकला।

दर्द, घुटन, कशिश भी आखिर कब तक,
सारी रात डूबे तब वह एक तारा भोर निकला।

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