सँभाल कर रखना - कविता

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Sambhal Kar Rakhana Hindi Rhymes
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"कविता"

बिच्छू डंक मरते हैं, अंजान मुसाफिरों को,
मुश्किल हुआ इंसानों को सँभाल कर रखना,

साँप निकलते बाहर, लोग बिलों में छुप जाते,
जरूरी है दो-चार अजगर पाल कर रखना।

क्या विवशता सिर कटाकर हुए हैं लहूलुहान,
हर बार धड़ ज्यों लहू से गुलाल कर रखना,

जुर्म करता है कोई, शर्म करता है कोई,
क्यों पहन चूड़ियाँ, मुँह पर रुमाल कर रखना।

आतंकवाद को ज्यों 'सुनामी' बना दिया,
हर गली पर बम, शहर पर बबाल कर रखना,

एक आदत हो गयी मासूम पतंगों को,
बेवजह कटते बेटों पर मलाल कर रखना।

लोहे से कटता लोहा, और जहर से जहर,
जीना है अगर तो लहू उबाल कर रखना।

परिंदे हुए आजाद, जिन्होंने शिकारियों को,
सीखा, उलझाकर उन्हीं के जाल पर रखना।

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