जीते हैं वे ही कविता, Jeete hain Ve He Hindi Poems Nursery Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा हिंदी में बच्चों की कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं, छोटे बच्चों की छोटी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
मुस्काओ तुम नभ में, जैसे,
बाल अरुण मुसकाता है।
गाओ, जैसे रोज सवेरे,
चिडियों का दल गाता है।
बढ़ो, कि जैसे मस्ती से,
बढ़ता ही जाता है निर्झर।
पीस डालता जो अपनी,
राहों में आए रोड़े-पत्थर।
देखो, कहती नदी कि हरदम,
सबको छाया पहुचना।
दीप सुलगकर कहता है,
तुम ऐसी ज्योति जलाओ।
भटक रहे जो अंधकार में,
उनको राह दिखाओ।
अपने लिए जिए जो उसको,
क्या जीवन कहते हैं।
जीते हैं वे ही जो औरों,
के हित दुख सहते हैं।
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