परिंदा कहा कविता इन हिंदी, Parinda Kaha Hindi Poems Rhymes, लोकप्रिय कवियों तथा कवित्रियों द्वारा लिखी गई हिंदी में कविताओं का संग्रह, बच्चों के लिए लिखी गई बाल-कविताएं, हिंदी कविता, हास्य के लिए लिखी गयी कविताएं यहाँ पढ़ सकते हैं।
थक गए चलते-चलते, मुसाफिर थे हम,
रुक गए तो लोगों ने, परिंदा कहा।
दर्द, टीस, आँसू, नमी आँख में नहीं,
देखकर सूखी आँखें, दरिंदा कहा।
आबरू भी बचानी थी जुबान भी बंद,
लोगों ने एक झूठ का पुलिंदा कहा।
नया था यह शहर, अजनबी थे हम भी,
एक गाँव का गँवार व वाशिंदा कहा।
कातिल को खोजा सबने, कतरनें जोड़कर,
एक हम ही थे चुप, हमें चुनिंदा कहा।