परिंदा कहा - कविता

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Parinda Kaha Hindi Rhymes
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"कविता"

थक गए चलते-चलते, मुसाफिर थे हम,
रुक गए तो लोगों ने, परिंदा कहा।

दर्द, टीस, आँसू, नमी आँख में नहीं,
देखकर सूखी आँखें, दरिंदा कहा।

आबरू भी बचानी थी जुबान भी बंद,
लोगों ने एक झूठ का पुलिंदा कहा।

नया था यह शहर, अजनबी थे हम भी,
एक गाँव का गँवार व वाशिंदा कहा।

कातिल को खोजा सबने, कतरनें जोड़कर,
एक हम ही थे चुप, हमें चुनिंदा कहा।

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